CBSE Sample Papers

CBSE Sample Papers from CBSEtuts.com

CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi Paper 11

October 12, 2018 by Nirmala Leave a Comment

CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi Paper 11

These Sample papers are part of CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi. Here we have given CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi Paper 11

निर्धारित समय :3 घण्टे
पूर्णांक : 80

सामान्य निर्देश :

  • यह प्रश्न-पत्र चार खण्डों में विभाजित है—क, ख, ग, घ।
  • चारों खण्डों के, सभी प्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य है।
  • उत्तर लिखने से पूर्व प्रश्न का क्रमांक अवश्य लिखें।
  • यथासम्भव प्रश्नों के उत्तर क्रम से दीजिए।

खण्ड- ‘क’    (15)

प्रश्न 1.
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर 20-30 शब्दों में लिखिए    (9)

हँसी भीतरी आनंद का बाहरी चिह्न है। जीवन की सबसे प्यारी और उत्तम-से-उत्तम वस्तु एक बार हँस लेना तथा शरीर को अच्छा रखने की अच्छी-से-अच्छी दवा एक बार खिलखिला उठना है। पुराने लोग कह गए हैं कि हँसो और पेट फुलाओ। हँसी कितने ही कला-कौशलों से भली है। जितना ही अधिक आनंद से हँसोगे उतनी ही आयु बढ़ेगी। एक यूनानी विद्वान कहता है कि सदा अपने कर्मों पर खीझने वाला हेरीक्लेस बहुत कम जिया, पर प्रसन्न मन डेमाक्रीट्स 109 वर्ष तक जिया । हँसी-खुशी का नाम जीवन है। जो रोते हैं उनका जीवन व्यर्थ है। कवि कहता है-‘जिंदगी जिंदादिली का नाम है, मुर्दा दिल क्या ख़ाक जिया करते हैं। मनुष्य के शरीर के वर्णन पर एक विलायती विद्वान ने पुस्तक लिखी है। उसमें वह कहता है कि उत्तम सुअवसर की हँसी उदास-से-उदास मनुष्य के चित्त को प्रफुल्लित कर देती है। आनंद एक ऐसा प्रबल इंजन है कि उससे शोक और दुःख की दीवारों को ढा सकते हैं। प्राण रक्षा के लिए सदा सब देशों में उत्तम-से-उत्तम उपाय मनुष्य के चित्त को प्रसन्न रखना है। सुयोग्य वैद्य अपने रोगी के कानों में आनंदरूपी मंत्र सुनाता है। एक अंग्रेज़ डॉक्टर कहता है कि किसी नगर में दवाई लदे हुए बीस गधे ले जाने से एक हँसोड़ आदमी को ले जाना अधिक लाभकारी है।

(क) गद्यांश का उचित शीर्षक दीजिए। (1)
उत्तर
हँसते रहो, स्वस्थ रहो।
(ख) हँसी को एक शक्तिशाली इंजन के समान क्यों कहा गया है?  (2)
उत्तर
हँसी की तुलना प्रबल इंजन से की गई है क्योंकि जिस प्रकार इंजन के दुरुस्त रहने पर ही गाड़ी चलती है उसी । प्रकार हँसने, खुश रहने से हमारी शरीर रूपी गाड़ी सुचारु रूप से कार्य करती है। इससे दुःख व शोक से बनी दीवारें टूट जाती हैं और हम स्वस्थ जीवन व्यतीत कर सकते हैं।
(ग) हेरीक्लेस और डेमाक्रीट्स के उदाहरण से लेखक क्या स्पष्ट करना चाहता है?   (2)
उत्तर
लेखक ने मनुष्य जीवन में हँसी का महत्त्व स्पष्ट करने के लिए दो व्यक्तियों के उदाहरण दिए हैं। हेरीक्लेस, जो अपने ही कार्यों से खीझता रहता था, स्वयं से ही संतुष्ट नहीं हो पाता था, वह जल्द ही मृत्यु को प्राप्त हो गया, दूसरी ओर डेमाक्रीट्स सदा प्रसन्न रहने के कारण दीर्घायु प्राप्त कर सका।
(घ) हँसी भीतरी आनंद को कैसे प्रकट करती है?   (2)
उत्तर
हमारी हँसी ही हमारे भीतरी आनंद का चिह्न है। यदि हमारा मन खुश होगा, हम भीतर से प्रफुल्लित होंगे, तो हम खुश रह पाएँगे, खुलकर हँस पाएँगे। अनेक बार हम भीतर से खुश न होने पर भी हँस देते हैं किन्तु हमारी | हँसी यह बता देती है कि हम भीतर से कितने खुश या उदास हैं।
(ङ) पुराने समय में लोगों ने हँसी को महत्त्व क्यों दिया? (2)
उत्तर
‘हँसो और पेट फुलाओ-ऐसा कहकर पुराने लोगों ने हँसी का महत्त्व स्पष्ट कर दिया है। हँसी बड़ी-से-बड़ी दवा का काम कर देती है। कभी-कभी तो जो उपचार दवा से संभव नहीं होता, हँसने-खुश रहने से हो जाता है।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर 20-30 शब्दों में लिखिए    (6)

मैं चला, तुम्हें भी चलना है असि धारों पर
सर काट हथेली पर लेकर बढ़ आओ तो।
इस युग को नूतन स्वर तुमको ही देना है,
अपनी क्षमता को आज ज़रा अज़माओ तो।
दे रहा चुनौती समय अभी नवयुवकों को
मैं किसी तरह मंज़िल तक पहले पहुँचूँगा।
तुम बना सकोगे भूतल का इतिहास नया,
मैं गिरे हुए लोगों को गले लगाऊँगा।
क्यों ऊँच-नीच, कुल, जाति रंग का भेद-भाव?
मैं रूढ़िवाद का कल्मष-महत ढहाऊँगा।
जिनका जीवन वसुधा की रक्षा हेतु बना
मरकर भी सदियों तक यों ही वे जीते हैं।
दुनिया को देते हैं यश की रसधार विमल
खुद हँसते-हँसते कालकूट को पीते हैं।
है अगर तुम्हें यह भूख-मुझे भी जीना है
तो आओ मेरे साथ नींव में गड़ जाओ।
ऊपर इसके निर्मित होगा आनंद-महल
मरते-मरते भी दुनिया में कुछ कर जाओ।

(क) ‘मरकर भी सदियों तक जीना’ कैसे संभव है? स्पष्ट कीजिए। (2)
उत्तर
जो अपना जीवन परोपकार में, देश-हित में व्यतीत करते हैं, कभी घबराकर पीछे नहीं हटते, हर चुनौती का सामना हँसते-हँसते करते हैं, अपना सम्पूर्ण जीवन ही देश की रक्षा में व्यतीत करते हैं, वे मरकर भी अमर हो | जाते हैं अर्थात् वे सबके दिलों में हमेशा जीवित रहते हैं।
(ख) भाव स्पष्ट कीजिए ‘दुनिया को देते हैं यश की रसधार विमल, खुद हँसते-हँसते कालकूट को पीते हैं।’  (2)
उत्तर
सच्चे कर्मवीर या मनुष्य वही होते हैं जो स्वयं कठिनाइयों को सहकर दूसरों को सुख देने का प्रयत्न करते हैं। वे महान कार्य करके उसका श्रेय रूपी अमृत भी औरों को दे देते हैं और खुद खुशी-खुशी विरोध रूपी विष पी लेते हैं।
(ग) कवि को नवयुवकों से क्या-क्या अपेक्षाएँ हैं?   (2)
उत्तर
कवि नवयुवकों को ऐसा जीवन जीने के लिए प्रेरित कर रहे हैं कि वे मरकर भी अमर हो जायें। अपनी अंतिम साँस तक वे देश के हित में कार्य करते रहें, अपने जीवन को ऐसी नींव बना दें जिस पर खुशियों का महल बनकर तैयार हो सके।

खण्ड – ‘ख’   (15)

प्रश्न 3.
नीचे लिखे वाक्यों का निर्देशानुसार रूपांतरण कीजिए   (3)

(क) तताँरा को देखते ही वामीरो फूट-फूटकर रोने लगी।   (मिश्र वाक्य में)
उत्तर
जब तताँरा को देखा तब वामीरो फूट-फूटकर रोने लगी।
(ख) तताँरा की व्याकुल आँखें वामीरो को ढूँढ़ने में व्यस्त थीं।   (संयुक्त वाक्य में)
उत्तर
तताँरा की आँखें व्याकुल थीं और वामीरो को देखने में व्यस्त थीं।
(ग) जापान में चाय पीने की एक विधि है जिसे ‘चा-नो-यू’ कहते हैं।    (सरल वाक्य में)
उत्तर
जापान में चाय पिलाने की एक विधि को चा-नो-यू कहते हैं।

प्रश्न 4.
(क) निम्नलिखित शब्दों का सामासिक पद बनाकर समास के भेद का नाम भी लिखिए    (2)
जन का आंदोलन,
नीला है जो कमल
उत्तर
जनान्दोलन–तत्पुरुष समास ।
नीलकमल-कर्मधारय समास ।
(ख) निम्नलिखित समस्त पदों का विग्रह करके समास के भेद का नाम लिखिए    (2)
नवनिधि,
यथासमय
उत्तर
नौ निधियों का समूह-द्विगु समास ।
समय के अनुसार-अव्ययीभाव समास ।

प्रश्न 5.
शब्द पद कब बन जाता है? उदाहरण देकर तर्कसंगत उत्तर दीजिए।   (2)
उत्तर
वर्गों का सार्थक व स्वतंत्र समूह ‘शब्द’ कहलाता है। जब वह व्याकरण के नियमों में बँधकर वाक्य में प्रयुक्त होता है, तब पद कहलाता है, जैसे
पक्षी—(शब्द)। भारत का राष्ट्रीय पक्षी मोर है। (पद)

प्रश्न 6.
निम्नलिखित मुहावरों का प्रयोग इस प्रकार कीजिए कि अर्थ स्पष्ट हो जाए    (2)
मौत सिर पर होना,
चेहरा मुरझा जाना
उत्तर
भारत की सीमाओं पर तैनात वीर सिपाही हर वक्त मौत सिर पर होने पर भी मुस्कुराते रहते हैं।
जैसे ही रवि को अपने परीक्षा परिणाम की सच्चाई मालूम हुई, उसका चेहरा मुरझा गया।

प्रश्न 7.
निम्नलिखित वाक्यों को शुद्ध करके लिखिए

(क) माताजी बाज़ार गए हैं।   (1)
उत्तर
माताजी बाज़ार गई हैं।
(ख) वह गुनगुने गर्म पानी से स्नान करता है।   (1)
उत्तर
वह गुनगुने पानी से स्नान करता है।
(ग) मैं मेरा काम कर लूंगा।।   (1)
उत्तर
मैं अपना काम कर लूंगा।
(घ) अपराधी को मृत्युदंड की सजा मिलनी चाहिए।   (1)
उत्तर
अपराधी को मृत्युदण्ड मिलना चाहिए ।

खण्ड – ‘ग’   (25)

प्रश्न 8.
इफ्फन और टोपी शुक्ला की मित्रता भारतीय समाज के लिए किस प्रकार प्रेरक है? जीवन-मूल्यों की दृष्टि से लगभग 150 शब्दों में उत्तर दीजिए।   (5)
उत्तर
भारतीय समाज अनेक कुरीतियों से आज भी घिरा हुआ है जिसका मूल कारण है अंधविश्वास तथा संकुचित विचार। जब तक लोग अपनी सोच को नहीं बदलेंगे तब तक इन कुरीतियों के दुष्प्रभावों से बचना सम्भव नहीं है। जाति-पाँति का भेदभाव एक बड़ी बुराई है जिसने हमारे देश के विकास में बहुत बड़ी बाधा खड़ी की हुई है। हिन्दू-मुसलमानों के झगड़े देश को आगे बढ़ने ही नहीं देते। आश्चर्य की बात तो यह है कि हिन्दू-मुसलमान दोनों ही मेल-जोल चाहते हैं, लड़ाई-झगड़ों से परेशान हैं, फिर भी कुछ समाज विरोधी ताकतें हैं जो इन्हें लड़ाने में सफल हो रही हैं। पाठ टोपी शुक्ला’ इस विरोध पैदा करने वाले लोगों के लिए एक सीख है। पाठ में दो घनिष्ठ मित्रों (टोपी शुक्ला और इफ्फन) की मित्रता का ऐसा वर्णन है जो हमें सोचने पर विवश कर देता है कि हम इस तरह मिल-जुलकर क्यों नहीं रह सकते? टोपी हिन्दू परिवार का लड़का है और इफ्फन मुस्लिम परिवार का। दोनों की परवरिश अलग वातावरण में हुई, दोनों को सर्वथा भिन्न संस्कार मिले, फिर भी इतनी गहरी मित्रता हो गई कि दोनों एक-दूसरे के बिना अधूरे थे। यह सम्बन्ध इतना गहरा हो गया कि इफ्फ़न से बिछुड़ जाने पर टोपी टूट गया, जिसका प्रभाव उसके व्यक्तित्व पर इतना गहरा पड़ा कि फिर वह किसी से दोस्ती नहीं कर सका और शिक्षा के क्षेत्र में भी असफल होता गया। अपने भरे-पूरे घर में वह बिल्कुल अकेला हो गया था। इफ्फन की कमी उसके जीवन में कोई पूरी नहीं कर सका । इस प्रकार इन दोनों की दोस्ती हिन्दू-मुस्लिम दोस्ती की एक बेहतरीन मिसाल है जो हमें एक होकर रहने की सीख दे रही है।

अथवा

‘हरिहर काका’ कहानी के आधार पर बताइए कि एक महंत से समाज की क्या अपेक्षा होती है? उक्त कहानी में महंतों की भूमिका पर टिप्पणी कीजिए। लगभग 150 शब्दों में दीजिए।
उत्तर .
भारत अपनी संस्कृति व सभ्यता के लिए विश्व भर में प्रसिद्ध है। हमारी संस्कृति की एक झलक हमारे पूजा स्थलों में देखने को मिलती है। ये पूजा स्थल हमारी संस्कृति व हमारी आस्था-विश्वास के प्रतीक हैं। इनकी उचित व्यवस्था व देख-रेख के लिए कुछ लोगों को नियुक्त कर दिया जाता है। जैसे पाठ ‘हरिहर काका’ में ठाकुरबारी की देख-रेख की जिम्मेदारी महंत को सौंपी गई थी। मंदिरों के महंत एक ओर तो वहाँ की कार्य व्यवस्था, रख-रखाव की देख-रेख करते हैं तो दूसरी ओर उनकी यह भी जिम्मेदारी होती है कि मंदिर में सुचारु रूप से धार्मिक कृत्य व धार्मिक चर्चा होती रहे, लोगों को उचित मार्गदर्शन, सुख-शान्ति प्राप्त हो । किन्तु इस पाठ का महंत अपने कर्तव्यों से विमुख होकर लालची, धोखेबाज, बेईमान व स्वार्थी हो गया। स्वार्थवश उसने न केवल हरिहर काका को प्रलोभन दिया बल्कि उसका अपहरण करवाकर, उनके साथ घृणित व्यवहार भी किया। महंत का यह रूप केवल कहानी नहीं, हमारे समाज की सच्चाई है। इसको बढ़ावा देने का जिम्मेदार है हमारा अंधविश्वास व अंधानुकरण। ऐसे लोग धर्म के नाम पर अपवित्र कार्य करके लोगों का विश्वास तोड़ते हैं व धर्म का अर्थ ही बदलकर रख देते हैं। यह एक बड़ा अपराध है। महंत जैसे लोगों को तो अपनी जिम्मेदारी का अहसास होना चाहिए व उन्हें सदैव समाज का उचित मार्गदर्शन करना चाहिए। (5)

प्रश्न 9.
‘कर चले हम फिदा’ अथवा ‘मनुष्यता’ कविता का प्रतिपाद्य लगभग 100 शब्दों में लिखिए।
उत्तर
कवि ‘कैफी आजमी’ द्वारा रचित कविता ‘कर चले हम फिदा’ उस सैनिक की आवाज है जो अपने देश की खातिर हँसते-हँसते कुर्बान होने जा रहा है। देश की सीमा पर जो सैनिक दिन-रात तैनात रहते हैं व शत्रु देश से हमारी रक्षा करते हैं, अवसर आने पर वे अपनी जान कुर्बान करने से भी नहीं चूकते, किन्तु उन्हें केवल एक ही चिन्ता सताती है कि उनके बाद देश की हिफाजत कौन करेगा? अंतिम साँस तक उनके कदम आगे ही बढ़ते जाते हैं, वे अपना सिर कटा देते हैं, किन्तु हिमालय का सिर झुकने नहीं देते अर्थात् अपने देश के गौरव पर आँच नहीं आने देते। वे सैनिक हमसे यानि अन्य देशवासियों से यह अपेक्षा करते हैं कि हम भी कुर्बानियों की इस राह पर बढ़ते रहें, देश के लिए शहीद होने वालों की कभी कमी न हो। यह देशभक्ति गीत हमें अहसास दिला रहा है कि सीता रूपी मातृभूमि की रक्षा हम सबको राम-लक्ष्मण बनकर करनी है ताकि शत्रु रूपी रावण हमारे देश की ओर आँख उठाकर न देख सके।    (5)

अथवा

कवि ‘मैथिलीशरण गुप्त द्वारा रचित कविता ‘मनुष्यता’ मनुष्य जीवन के उद्देश्य व उसे सार्थक बनाने के उपायों पर प्रकाश डालने में पूर्णतः समर्थ है। कवि के अनुसार हमें पशु प्रकृति से ऊपर उठकर परोपकार में जीवन व्यतीत करना चाहिए। नश्वर शरीर का सदुपयोग करते हुए अजर-अमर आत्मा को महान बनाने के लिए सदा दानवीरता, करुणा, सहानुभूति जैसे गुणों को आत्मसात् करना आवश्यक है। वही मनुष्य उदार कहलाता है जो समस्त विश्व को एक सूत्र में बाँधने का कार्य करे और उसी को पुस्तकों में, वीर गाथाओं में याद रखा जाता है, धरती भी ऐसे महापुरुषों को जन्म देकर धन्य हो जाती है और सारा संसार उन्हें सम्मान से याद रखता है। यदि हमने मानव रूप में जन्म लिया है तो दया, करुणा, सहानुभूति जैसे महान गुणों की महाविभूति ग्रहण करना आवश्यक है। तभी हम अपने मनुष्य जीवन को सफल बना सकेंगे। हमें ईश्वर पर विश्वास रखते हुए, परस्पर अवलम्ब के साथ आगे बढ़ते हुए अपने साथ सबका हित-चिन्तन करना चाहिए। जीवन मार्ग में कदम बढ़ाते हुए सचेत रहना चाहिए कि आपसी मेल-जोल बढ़ता जाये व किसी प्रकार का द्वेष या विरोध पैदा न हो और हम मानवता को जीवित रख सकें।

प्रश्न 10.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 20-30 शब्दों में लिखिए

(क) ‘गिरगिट’ पाठ में चौराहे पर खड़ा व्यक्ति ज़ोर-जोर से क्यों चिल्ला रहा था? (1)
उत्तर
ख्यूकिन नाम का सुनार चौराहे पर खड़ा होकर चिल्ला रहा था क्योंकि उसकी उँगली एक कुत्ते ने काट ली थी। | वह उसके लिए मुआवजा पाना चाहता था क्योंकि कुछ दिन वह अपना पेचीदा काम नहीं कर पाएगा।
(ख) तताँरा-वामीरो कथा के आधार पर प्रतिपादित कीजिए कि रूढ़ियाँ बंधन बनने लगें तो उन्हें टूट जाना चाहिए।  (2)
उत्तर
‘तताँरा-वामीरो कथा’ निकोबार द्वीप समूह में प्रचलित एक प्रेम कथा है। दो गाँवों के परस्पर द्वेष के कारण दो। प्रेमी एक नहीं हो पाए, बल्कि सामाजिक विरोध के कारण उन्हें अपने प्रेम व अपने जीवन का बलिदान देना पड़ा । यदि गाँवों के बीच पनप रहे शत्रु भाव को व कठोर नीतियों को सही समय पर तोड़ दिया जाता तो शायद इस तरह एक प्रेमी युगल को बलिदान न देना पड़ता। अतः यह स्पष्ट है कि किसी समय में, किसी कारणवश बनाई गई नीतियाँ रूढ़ियाँ बनकर बोझ लगने लगें तो उन्हें बदल देना या तोड़ देना ही बेहतर होता है।
(ग) हमारी फिल्मों में त्रासद स्थितियों का चित्रांकन ‘ग्लोरीफाई’ क्यों कर दिया जाता है ? ‘तीसरी कसम’ के शिल्पकार शैलेन्द्र के आधार पर उत्तर दीजिए। (2)
उत्तर
‘तीसरी कसम’ गीतकार शैलेन्द्र द्वारा निर्मित एकमात्र फिल्म थी। यह फिल्म चकाचौंध व आकर्षण से परे एक सीधी-सादी, भाव प्रबल फिल्म थी । सुख-दुख को इसमें जीवन सापेक्ष प्रस्तुत किया गया था। यही कारण था कि यह लाभ कमाने की दृष्टि से असफल रही। इसे कोई खरीदार नहीं मिला। जनता को आकर्षित करने के लिए हमारी हिन्दी फिल्मों में प्रत्येक स्थिति को ग्लोरिफाई कर दिया जाता है, बढ़ा-चढ़ाकर प्रस्तुतीकरण करके दर्शकों का भावात्मक शोषण किया जाता है, किन्तु ‘तीसरी कसम’ इस सबसे परे थी।

प्रश्न 11.
‘बड़े भाई साहब’ कहानी के आधार पर लगभग 100 शब्दों में लिखिए कि लेखक ने समूची शिक्षा प्रणाली के किन पहलुओं पर व्यंग्य किया है? आपके विचारों से इसका क्या समाधान हो सकता है? तर्कपूर्ण उत्तर लिखिए।   (5)
उत्तर
पाठ ‘बड़े भाई साहब’ के अन्तर्गत लेखक उन बच्चों में से है जो अपना सारा समय खेल-कूद को भेंट कर देते हैं, पुस्तकें लेकर बैठना जिन्हें बोझ लगता है, किन्तु फिर भी पढ़ाई में अव्वल आते हैं। दूसरी ओर लेखक के बड़े भाई साहब दिन-रात कॉपी-किताब लेकर बैठे रहने पर भी बार-बार फेल हो जाते हैं। ऐसे में वे सारा दोष शिक्षा व्यवस्था को ही देते हुए कहते हैं कि शिक्षा के नाम पर जो कुछ पढ़ाया जाता है, जीवन में उसका कोई उपयोग नहीं होता, बेमतलब की बातें पुस्तकों में लिखी होती हैं और शिक्षक चाहते हैं कि छात्र उनका एक-एक शब्द रट डालें । परीक्षक उत्तर-पुस्तिकाओं की जाँच सुचारु रूप से नहीं करते जिसके कारण योग्य छात्र पीछे रह जाते हैं तथा अयोग्य छात्र उत्तीर्ण होकर आगे निकलते जाते हैं। इस प्रकार बड़े भाई साहब के माध्यम से शिक्षा व्यवस्था पर व्यंग्य किया गया है। वास्तव में भारतीय शिक्षा व्यवस्था में बहुत सुधार की आवश्यकता है। शिक्षा व्यावहारिक होनी चाहिए, छात्र जो कुछ सीखें, उसे जीवन में अमल कर सकें, मात्र रटने को शिक्षा न मानें। शिक्षा प्राप्ति की प्रक्रिया छात्रों को प्रतिस्पर्धा करना न सिखाए, एक-दूसरे से आगे निकलने की मानसिकता विकसित न करे, बल्कि मिलकर काम करना, एक-दूसरे का पूरक बनना सिखाए। तभी उसका उद्देश्य पूर्ण हो पाएगा।

अथवा

‘अब कहाँ दूसरों के दुःख से दुखी होने वाले पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि बढ़ती हुई आबादी का पशु-पक्षियों और मनुष्यों के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ रहा है? इसका समाधान क्या हो सकता है? उत्तर लगभग 100 शब्दों में दीजिए।
उत्तर
पाठ ‘अब कहाँ दूसरों के दुख से दुखी होने वाले’ के आधार पर बताया गया है कि कुदरत की दी हुई प्रत्येक वस्तु पर सभी जीवधारियों का समान अधिकार है, किन्तु मनुष्य ने अपनी विकसित बुद्धि के बल पर प्रकृति को अपनी जागीर समझ लिया व उसके साथ खिलवाड़ करना, मनमाना व्यवहार करना व अपनी असीमित इच्छाओं की पूर्ति के लिए उसे ध्वस्त करना शुरू कर दिया। आबादी के साथ-साथ मनुष्य की आवश्यकताएँ व इच्छाएँ भी बढ़ती गयीं तथा परिणामस्वरूप प्रकृति का स्वरूप नष्ट-भ्रष्ट हो गया। पशु-पक्षियों के प्राकृतिक आवास उनसे छिन गए। पूरा जीवन चक्र बुरी तरह से प्रभावित होने लगा। प्राकृतिक असंतुलन के कारण कभी अनावृष्टि तो कभी बाढ़, सैलाब, तुफान व नित नए रोग आदि प्रकृति के प्रकोप के रूप में सामने आ रहे हैं। हवा, पानी ग्रहण करने योग्य नहीं रहे, भूमि की कोख से पैदा होने वाला अनाज शुद्ध नहीं रहा। ऐसे में पशु-पक्षियों व मानव जाति का जीवन संकट में पड़ गया है। यदि हम अपनी सुरक्षा चाहते हैं तो हमें पर्यावरण की सुरक्षा की ओर ध्यान देना ही होगा। प्रकृति का विवेकपूर्ण प्रयोग होना चाहिए, दुरुपयोग नहीं । हमें पर्यावरण के प्रति निष्ठुरे न होकर, प्रेमपूर्ण व्यवहार करना चाहिए एवं भावी पीढ़ियों को भी प्रकृति के प्रति भावुक बनाना चाहिए। तभी मानव व जीव-जन्तु पर्यावरण के साथ-साथ स्वयं भी सुरक्षित रह पायेंगे।

प्रश्न 12.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 20-30 शब्दों में लिखिए

(क) बिहारी ने ‘जगतु तपोबन सौ कियौ’ क्यों कहा है?   (1)
उत्तर
कवि ‘बिहारी ने वन्य जीवन पर प्रचण्ड ग्रीष्म का प्रभाव दिखाने के लिए कहा है कि जगतु तपोबन सौ कियौ अर्थात् ग्रीष्म ने जंगल को भी तपस्या की भूमि की तरह शान्त व कुल द्वेष रहित बना दिया।
(ख) महादेवी वर्मा की कविता में ‘दीपक’ और ‘प्रियतम’ किनके प्रतीक हैं?   (2)
उत्तर
कवयित्री महादेवी वर्मा ने अपने जीवन को या अपनी आस्था को दीपक व मानव जाति अथवा परमात्मा को प्रियतम कहकर सम्बोधित किया है। वे चाहती हैं कि उनका आस्था रूपी दीपक निरन्तर, हर परिस्थिति का सामना करते हुए जलता रहे ताकि उनके मन-मन्दिर में ईश्वर के प्रविष्ट होने का मार्ग आलोकित रहे। दूसरे अर्थों में वे अपने जीवन रूपी दीपक को प्रज्ज्वलित रखते हुए मानव जाति का सदैव मार्गदर्शन करते रहना चाहती हैं।
(ग) ‘पर्वत प्रदेश में पावस’ कविता के आधार पर पर्वत के रूप-स्वरूप का चित्रण कीजिए। (2)
उत्तर
कविता ‘पर्वत प्रदेश में पावस’ मानवीकरण अलंकार का एक सुन्दर उदाहरण है। इसमें पर्वतीय प्रदेश के अनुपम दृश्यों का अलौकिक वर्णन किया गया है। कवि दूर तक गोल आकार में फैले पर्वतों की विशालता व सौन्दर्य का वर्णन करते हुए कह रहे हैं कि वे पर्वत हजारों फूलों से लदे हैं व उन पर्वतों की परछाईं नीचे स्थित तालाब में पड़ रही है, जिसे देखकर ऐसा लग रहा है मानो पर्वत अपनी पुष्प रूपी हजारों आँखों से तालाब रूपी दर्पण में अपनी विशाल व अद्भुत छवि को निरन्तर निहार रहे हैं।

खण्ड- ‘घ’    (25)

प्रश्न 13.
अपने विद्यालय की संस्था ‘पहरेदार’ की ओर से जल का दुरुपयोग रोकने का आग्रह करते हुए लगभग 50 शब्दों में एक विज्ञापन का आलेख तैयार कीजिए।    (5)
उत्तर

Extracted pages from Sample paper 11 1

विद्यालय की कलावीथि में कुछ चित्र (पेंटिंग्स) बिक्री के लिए उपलब्ध हैं। इसके लिए एक विज्ञापन लगभग 50 शब्दों में लिखिए।
उत्तर

Extracted pages from Sample paper 11 2

प्रश्न 14.
आप हिन्दी छात्र परिषद के सचिव प्रगण्य हैं। आगामी सांस्कृतिक संध्या के बारे में अनुभागीय दीवार पट्टिका के लिए 25-30 शब्दों में सूचना तैयार कीजिए।  (5)

Extracted pages from Sample paper 11 3

विद्यालय की सांस्कृतिक संस्था ‘रंगमंच’ की सचिव लतिका की ओर से ‘स्वर परीक्षा के लिए इच्छुक विद्यार्थियों को यथासमय उपस्थित रहने की सूचना लगभग 25-30 शब्दों में लिखिए। समय और स्थान का उल्लेख भी कीजिए।
उत्तर

Extracted pages from Sample paper 11 4

प्रश्न 15.
बस में छूट गए सामान को आपके घर तक सुरक्षित रूप से पहुँचाने वाले बस कंडक्टर की प्रशंसा करते हुए उसे | पुरस्कृत करने के लिए परिवहन अध्यक्ष को एक पत्र लगभग 100 शब्दों में लिखिए।    (5)
उत्तर
परीक्षा भवन,
नई दिल्ली।
दिनांक

परिवहन अध्यक्ष,
दिल्ली परिवहन निगम,
नई दिल्ली।

विषय-कंडक्टर की कर्तव्यनिष्ठा की प्रशंसा ।

आदरणीय महोदय,

मैं विकासपुरी, दिल्ली का निवासी दिल्ली परिवहन निगम की रूट संख्या 883 के जिम्मेदार व कर्तव्यनिष्ठ कंडक्टर की ईमानदारी से आपको परिचित कराना चाहती हूँ।

दिनांक 15 मार्च को दोपहर 2 बजे के करीब मैंने वजीर पुर से यह बस पकड़ी। मेरे पास एक कॉलेज का बैग व कुछ आवश्यक सामान था। बस में भीड़ बहुत थी। उतरते समय मेरा बैग बस में ही गिर गया और जब तक मुझे इसकी जानकारी हुई, बस जा चुकी थी। मैं अत्यधिक चिन्तित थी कि अगले ही दिन सुबह घर पर एक महोदय मेरा बैग लेकर आ गए। पूछने पर पता चला कि उन्हें उस बस के कंडक्टर ने भेजा है ताकि मेरा सामान मुझ तक सुरक्षित पहुँच सके। बैग में मेरा परिचय पत्र होने के कारण यह संभव हो पाया। मैं चाहती हूँ कि बस कंडक्टर श्री सतीश कुमार जी को प्रोत्साहन पुरस्कार से सम्मानित किया जाए ताकि अन्य लोगों को भी अपने कार्य ईमानदारी से करने की सीख मिले।

धन्यवाद ।
भवदीया,
क, ख, ग

अथवा

अपने बैंक के प्रबंधक को पत्र लिखकर अपने आधार कार्ड को बैंक खाते से जोड़ने का अनुरोध कीजिए।

परीक्षा भवन,
नई दिल्ली
दिनांक :

प्रबन्धक महोदय,
क ख ग बैंक
नई दिल्ली।

विषय-आधार कार्ड को बैंक खाते से जोड़ने हेतु ।।

आदरणीय महोदय,

सविनय निवेदन यह है कि आपके बैंक मैं मेरा बचत खाता संख्या………पिछले दस सालों से खुला हुआ है और उसमें हमेशा ही काफी रकम जमा रहती है। बैंक कर्मचारियों से मेरे सम्बन्ध भी अच्छे हैं। आवश्यकतानुसार अब मुझे अपना आधार कार्ड बैंक खाते से जोड़ना है। इस कार्य में आपका सहयोग अपेक्षित है। कृपया सभी औपचारिकताओं से मुझे अवगत करायें ताकि जल्द ही यह कार्य सम्पन्न हो सके।

धन्यवाद ।
भवदीय,
अ, ब, स

प्रश्न 16.
निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर लगभग 80-100 शब्दों का अनुच्छेद लिखिए    (5)
(क)मन के हारे हार है मन के जीते जीत
• निराशा अभिशाप ।
• दृष्टिकोण परिवर्तन
• सकारात्मक सोच
उत्तर

मन के हारे हार है, मन के जीते जीत

मन की ताकत का अंदाजा लगाना बहुत कठिन है। यह सच ही है कि यह हमसे महान से महान कार्य करवा सकता है तो जघन्य अपराध करने के लिए मजबूर भी कर सकता है। इसे बहुत ही चंचल माना जाता है। यदि जीवन में सफल होना है तो हमें मन के वश में नहीं, अपितु मन को अपने वश में करना आना चाहिए । मन को एकाग्र करके ही सफलता प्राप्त की जा सकती है और यदि कभी किसी कार्य में असफलता या हार का सामना करना पड़ता है तो मन को निराशा के चंगुल से बचाना चाहिए, क्योंकि निराशावादी मन हार मानकर बैठने पर मजबूर कर देता है। हमें प्रयास ही नहीं करने देता जबकि मन में यदि आशा विद्यमान है। तो जीत की सम्भावना भी है। मन की स्थिति हमारे दृष्टिकोण को हमारे बल व निश्चय को बदलने की ताकत रखती है। मन से हारा हुआ व्यक्ति कभी प्रयास नहीं कर सकता और यदि वह नकारात्मक विचारों के साथ प्रयास करता भी है तो उसकी जीत की सम्भावना नहीं रहती। वहीं दूसरी ओर जब तक मन से हार नहीं मानो, सकारात्मक दृष्टिकोण से प्रयास किया है तो जीत हासिल होकर ही रहेगी। अतः हमारे जीवन की सफलता-असफलता हार-जीत हमारी मन:स्थिति पर निर्भर करती है। मन में आशावान बने रहेंगे तो अन्य
परिस्थितियाँ व वातावरण भी हमारे अनुकूल होकर हमें लक्ष्य-प्राप्ति में सहायक हो जाता है।
(ख) भारतीय किसान के कष्ट
• अन्नदाता की कठिनाइयाँ
• कठोर दिनचर्या ।
• सुधार के उपाय
उत्तर

भारतीय किसान के कष्ट

अपने देश की धरती को मातृभूमि का वास्ता दिया जाता है, क्योंकि उसमें जन्म लेना, उसका अन्न-जल ग्रहण करके हम जीवन व्यतीत करते हैं, किन्तु मातृभूमि की कोख से अन्न को पैदा करने की मेहनत जो किसान करता है, वह भी समान रूप से पूजनीय है। अनाज उगाने के लिए किसान को किन कष्टों को सहना पड़ता है, हम उसकी कल्पना भी नहीं कर सकते । कठोर दिनचर्या का वह पालन करता है। उसके लिए धूप-छाँव, सर्दी-गर्मी में कोई अन्तर नहीं, उसे हर हाल में निरन्तर मेहनत करनी होती है। अपना खून-पसीना एक करके वह फसलें उगाता है किन्तु दुर्भाग्यवश यदि मौसम ने साथ न दिया तो उसकी सारी मेहनत बर्बाद भी हो सकती है। बीज बोने से लेकर फसलें काटने के बाजार में पहुँच जाने तक उसको कितने तनाव से गुजरना पड़ता होगा, कभी तो प्रकृति का प्रकोप तो कभी बाजार का, इन सबके बीच उसका जीवन पिसता रहता है। यही कारण है कि हर वर्ष बड़ी संख्या में किसानों की आत्महत्या के समाचार सुनने को मिलते हैं। बेचारा गरीब किसान कर्ज लेकर खेती करता है और यदि कुछ हाथ न लगे तो परिवार का निर्वाह करना भी असम्भव हो जाता है। ऐसे में किसानों के लिए उचित नीतियाँ बननी चाहिए व उन पर सख्ती से अमल भी होना चाहिए । सरकार द्वारा उसे अच्छे बीज, खाद व अन्य सुविधाओं के अतिरिक्त फसल बीमा योजना भी होनी चाहिए ताकि वह निश्चिन्त होकर अपना जीवन निर्वाह कर सके।
(ग) स्वच्छता आंदोलन
• क्यों
• बदलाव
• हमारा उत्तरदायित्व स्वच्छता आन्दोलन
उत्तर

‘स्वच्छता स्वास्थ्य की जननी है।”

स्वच्छता के अभाव में स्वास्थ्य की कल्पना नहीं की जा सकती। जिस पर्यावरण में हम साँस लेते हैं, उठते-बैठते हैं, उसका प्रभाव हमारे शरीर व मन-मस्तिष्क पर निश्चित ही पड़ता है। वातावरण स्वच्छ होगा तो शरीर के साथ-साथ मन को भी प्रसन्न व कार्यशील बनाएगा, जबकि अस्वच्छ वातावरण से तन-मन रोगी महसूस करने लगेंगे। गन्दगी में पनपने वाले हजारों अदृश्य कीटाणु शरीर को रोगी बनाते हैं। अतः मन-मस्तिष्क व स्वास्थ्य के लिए शरीर को स्वस्थ रहना व शरीर के स्वास्थ्य के लिए वातावरण स्वच्छ रहना बेहद जरूरी है। हमारे आदरणीय प्रधानमंत्री जी के प्रतिनिधित्व में जब से स्वच्छता आन्दोलन चला है, वातावरण में भले ही बहुत बदलाव न आया हो, किन्तु लोग सचेत अवश्य हो गए हैं। बच्चा-बच्चा आज स्वच्छता को महत्त्वपूर्ण मानता है वे गन्दगी फैलाने को बुरा माना जाने लगा है। अनेक क्षेत्रों में अनगिनत लोग व संस्थायें इस आन्दोलन को जारी रखे हुए हैं। जैसे-जैसे लोगों में जागरूकता बढ़ेगी, सब स्वच्छता के प्रति अपनी जिम्मेदारी समझेंगे, वैसे-वैसे वातावरण में सुधार दिखाई देने लगेगा। किसी भी बड़े परिवर्तन की शुरुआत छोटे स्तर से ही होती है और वह हो चुकी है। अब आवश्यकता है सभी को अपना उत्तरदायित्व
समझने व निभाने की ताकि हम अपने भारत को प्रदूषण मुक्त बनाकर रोग मुक्ति की ओर कदम बढ़ा सकें।

प्रश्न 17.
विद्यालय में मोबाइल फोन के प्रयोग पर अध्यापक और अभिभावक के बीच लगभग 50 शब्दों में संवाद लिखिए।   (5)
उत्तर
अध्यापक – शर्मा जी, मैं पिछले कुछ महीनों से देख रहा हूँ कि आपका बेटा रवि पढ़ाई में ध्यान नहीं दे रहा । है। आप जानते हैं कि विद्यालय में मोबाइल फोन लाना सख्त मना है, फिर भी वह दो-तीन बार मोबाइल के साथ पकड़ा गया है।
अभिभावक – जी, माफ करें। हम नहीं जानते थे कि विद्यालय में फोन लाना मना है। वैसे कभी किसी खास वजह से मोबाइल ले भी आए तो उसमें खराबी क्या है?
अध्यापक – आप समझने की कोशिश कीजिए। यदि हम छात्रों को कभी-कभी मोबाइल लाने की स्वीकृति दे दें तो स्थिति को नियन्त्रित करना मुश्किल हो जाएगा। आखिर बच्चों को मोबाइल की जरूरत ही क्या है? विद्यालय में फोन है, आवश्यकता पड़ने पर यहाँ से फोन किया जा सकता है।
अभिभावक – यदि बच्चों के पास फोन रहता है तो हम निश्चिन्त रहते हैं।
अध्यापक – बच्चों के पास फोन होना ही चिन्ता का विषय है, क्योंकि उसका अनेक प्रकार से दुरुपयोग करना भी वे जानते हैं।
अभिभावक – मैं समझ गया, आगे से कभी आपको शिकायत का मौका नहीं मिलेगा।

अथवा

स्वच्छता अभियान की सफलता के बारे में दो मित्रों के संवाद को लगभग 50 शब्दों में लिखिए।
उत्तर
रमेश – रवि, कल हम मोहल्ले के लोग मिलकर अपने क्षेत्र की साफ-सफाई करने वाले हैं। क्या तुम भी शामिल होना चाहोगे?
रवि . – क्यों भाई? और कोई काम नहीं है क्या? जिन्होंने स्वच्छता अभियान चलाया था, वे कहाँ गए? बस, थोड़े दिन शोर मचाकर गायब?
रमेश – यह तुम क्या कह रहे हो? स्वच्छता अभियान चलाकर जन-जन को सचेत करने का कार्य करना आसान नहीं था। किसी भी काम की पहल करना ही मुश्किल होता है। अब तो हम सबको मिलकर ही इस अभियान को आगे बढ़ाना होगा।
रवि – वाह ! हम कर (टैक्स) भी दें, नौकरी भी करें, परिवार की समस्याएँ सुलझाएँ और सब साफ-सफाई भी करें? ये सफाई कर्मचारी अपना काम ठीक से क्यों नहीं करते?
रमेश – केवल प्रशासन की कमियाँ निकालना अच्छी बात नहीं है। इतने वर्षों से जो आदतें पड़ी हुई हैं, वे अचानक तो नहीं बदलेंगी। एक बार स्वच्छता की लहर दौड़ जाएगी तो सब सावधान हो जायेंगे। न लोग गन्दगी फैलायेंगे और न ही सफाई कर्मचारी कामचोरी करेंगे।
रवि – शायद तुम ठीक कह रहे हो । मैं भी तुम लोगों के साथ चलूंगा ! आखिर हम सबको मिलकर ही तो स्वच्छता अभियान को सफल बनाना है।     (5)

We hope the CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi Paper 11 help you. If you have any query regarding CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi Paper 11, drop a comment below and we will get back to you at the earliest.

Filed Under: CBSE

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

NCERT Exemplar problems With Solutions CBSE Previous Year Questions with Solutoins Buy CBSE Sample Papers 2018

Recent Posts

  • CBSE Sample Papers for Class 10 Maths Paper 1
  • CBSE Sample Papers for Class 10 Maths Paper 12
  • CBSE Sample Papers for Class 10 Maths Paper 11
  • CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi Paper 12
  • CBSE Sample Papers for Class 10 Science Paper 11
  • CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi Paper 11
  • CBSE Sample Papers for Class 10 English Communicative Paper 16
  • CBSE Sample Papers for Class 10 Maths Paper 10
  • CBSE Sample Papers for Class 10 English Communicative Paper 15
  • CBSE Sample Papers for Class 10 English Communicative Paper 14

Copyright © 2019 · Magazine Pro Theme on Genesis Framework · WordPress · Log in